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आज ये हैं गणेश विसर्जन के मुहूर्त, इस तरह बांधें 14 गांठों वाला अनंत सूत्र

 

आज अनंत चतुर्दशी पर्व है। गणपति के पूजन के साथ-साथ इस दिन भगवान विष्णु का पूजन भी किया जाता है, साथ ही पूजन के बाद 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांह में बांधा जाता है। गत 25 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर श्रद्धालुओं ने गणपति की स्थापना की थी। 11 दिन तक उनकी सेवा-पूजा के बाद आज उन्हें धूम धड़ाके से विदा किया जा रहा है।

जिन भक्तों ने अपने घरों में गणपति की मूर्ति की स्थापना की होती है वे लोग अनंत चर्तुदशी के दिन बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करते हैं यानी भगवान गणेश कोे उन्हें वापस उनके घर के लिए विदा करते हैं।

गणेश विसर्जन के शुभ मुहूर्त

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त सुबह का मुहूर्त (चार, लाभ, अमृत) 09:32 बजे- 14:11 अपराह्न है।

दोपहर का मुहूर्त (शुभ) = 15: 44 बजे- 17:17 बजे

शाम का मुहूर्त (प्रयोग) = 20:17 अपराह्न – 21: 44 बजे

रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चार) = 23:11 बजे

 

यूं करें गणेश विसर्जन

बप्पा का विसर्जन करने से पहले भगवान गणेश की आरती की जाती है। तिलक लगाकर, फल और मोदक चढ़ाकर मंत्रो का उच्चारण करते हैं। इसके बाद भगवान को चढ़ाया गए फल और मिठाई को लोगों को बांटा जाता है। पूजा स्थान से गणपति की प्रतिमा को उठाएं। साथ में फल, फूल, वस्त्र और मोदक रखें। इस पूजा में दीपक, धूप, पुष्प, चावल और सुपारी को एक लाल कपड़े में बांध कर रख लें। जिसे विसर्जन के दौरान प्रयोग करें।

ऐसे करें अनंत चतुर्दशी का व्रत

इस व्रत को करने वाले को सुबह स्नान करने के बाद व्रत करने का संकल्प करें। शास्त्रों में कहा गया है कि व्रत का संकल्प और पूजन किसी पवित्र नदी या फिर तलाब के तट पर ही करना चाहिए। यदि यह संभव न हो सके तो फिर घर में भी कलश स्थापित कर सकते है। कलश पर शेषनाग के ऊपर लेटे भगवान विष्णु जी की मूर्ति या फोटो स्थापित कर सकते हैं।

यू बांधें अनन्त सूत्र

भगवान विष्णु जी के सामने चौदह गांठों वाला अनंत सूत्र (डोरा) को एक जल पत्र खीरा से लपेट कर ऐसे घुमाएं। कहते हैं कि इसी तरह समुद्र मंथन किया गया था, जिससे अनंत भगवान मिले थे।

मंथन के बाद ॐ अनंतायनम: मंत्र से भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूरी विधि से पूजा करें। पूजा के बाद अनंत सूत्र को मंत्र पढ़ने के बाद पुरुष अपने दाहिने हाथ में और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें।

अनंत सूत्र बांधने का मंत्र

अनंत सागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव.

अनंत रूपे विनियोजितात्माह्यनन्त रूपायनमोनमस्ते.

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