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आज 7 सितंबर से गणेश चतुर्थी महोत्सव शुरू हो गया है। अगर आप भी गणपति को घर में बैठा रहे हैं, तो यहां जानिए पूजा की सही विधि और गणपति स्थापना का सही तरीका। गणेश चतुर्थी पर पूजा के लिए जरूरी है कि गणपति की नई प्रतिमा लाई जाए। यदि आप प्रतिमा स्थापित नहीं करना चाहते हैं, तो एक साबुत पूजा सुपारी को गणपति स्वरूप मानकर उसे भी घर में स्थापित कर सकते है।
स्थापना का सही तरीका
गणपति को घर में स्थापित करने से पहले पूजा स्थल की सफाई कर लें। फिर एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत रखें और गणपति को स्थापित करें। इसके बाद गणपति को दूर्वा या पान के पत्ते की सहायता से गंगाजल से स्नान कराएं। पीले वस्त्र गणपति को अर्पित करें या मोली को वस्त्र मानकर अर्पित करें। इसके बाद रोली से तिलक कर अक्षत लगाएं, फूल चढ़ाएं और मिष्ठान का भोग लगाएं। कीर्तन करें। प्रसाद में प्रतिदिन पंचमेवा जरूर रखें।
ऐसे रखें पूजनसामग्री
गणपति की चौकी के पास तांबे या चांदी के कलश में जल भरकर रखें। कलश गणपति के दाईं ओर होना चाहिए। इस कलश के नीचे चावल या अक्षत रखें और इस पर मोली अवश्य बांधें। गणपति के दाईं तरफ घी का दीपक जलाएं। दीपक को कभी भी सीधे जमीन पर न रखें, इसके नीचे चावल रखें। पूजा का समय निश्चित रखें।
संकल्प करना है जरूरी
गणपति की स्थापना के बाद दाएं (सीधे) हाथ में अक्षत और गंगाजल लेकर संकल्प करें। कहें कि हम गणपति को इतने दिनों तक अपने घर में स्थापित करके प्रतिदिन विधि-विधान से पूजा करेंगे। संकल्प में उतने दिनों का जिक्र करें, जितने दिन आप गणपति को अपने घर में विराजना चाहते हों।
गणपति का आह्वान करें
ओम् गणेशाय नम: का जप करते हुए स्थापित की गई गणपति प्रतिमा को प्रणाम करें और उनसे विनती करें कि प्रभु हम इतने दिनों तक आपको प्रतिष्ठित करने विधि पूर्वक पूजा करना चाहते हैं। आप ऋद्धि-सिद्धि के साथ हमारे घर में विराजमान हों।
शुभ-लाभ प्राप्ति के लिए
घर में शुभ-लाभ की वृद्धि और समृद्धि की प्राप्ति के लिए गणपति को प्रतिदिन 5 दूर्वा अर्पित करें। साथ ही पांच हरी इलायची और 5 कमलगट्टे एक कटोरी में रखकर भगवान के चरणों में रख दें। इलायची तथा कमलगट्टों को पूजा के अंतिम दिन तक वहीं रखा रहने दें। पूजन संपन्न होने के बाद कमलगट्टों को लाल कपड़े में बांधकर घर के मंदिर में रख लें तथा इलायची को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें।