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आज इस शुभ मुहूर्त में मनाइए भाईदूज, मनाने की वजह भी जानिए

 

आज 21 अक्टूबर को भाई दूज पर्व है। भाई को टीका शुभ मुहूर्त में करें। इसके लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 3 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इसी के साथ पाँच दिवसीय दीपोत्सव का समापन होगा।
भाई दूज को यम द्वितीय भी कहते हैं। भाई दूज के दिन बहनें रोली और अक्षत से अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उनकी दीर्घायु और उज्जवल भविष्य की कामना करती है। वहीं भाई, बहनों को उपहार देकर उनकी खुशियों को दोगुना कर देता है। हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार भैया दूज को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन ब्रज मंडल में बहनें अपने भाई के साथ यमुना स्नान करती हैं। इसका भी विशेष महत्व बताया गया है।

इसलिए मनाते हैं

हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थी एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर सकी और छायामूर्ति का निर्माण करके अपने पुत्र और पुत्री को सौंपकर वहां से चली गईं। छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था, लेकिन यमराज और यमुना में बहुत प्रेम था। यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते। एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने पहुंचे। भाई को आया देख यमुना बहुत खुश हुईं। भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया। बहन का प्यार देखकर यम इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे भेंट दिए।

यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा। यमुना ने उनके इस आग्रह को सुन कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है।

कथा यह भी

भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नराकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे। उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा और इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।