सन्तोष खाचरियावास
जयपुर/अजमेर। राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट कम कराने के लिए इस बार प्रदेश के सभी पेट्रोलियम डीलर्स ने पूरी तरह कमर कस ली है। हड़ताल का बिगुल बज गया है। जगह-जगह बैठकें की जा रही हैं। इन सबके बावजूद हड़ताल और आंदोलन की सफलता को लेकर सन्देह है। इसकी वजह यह है कि सरकारी तेल कम्पनियों के डीलर्स तो अपने पंप बंद रखेंगे लेकिन खुद कम्पनियों के ही कोको पंप खुले रहेंगे। यहां तक कि रिलायंस और नायरा जैसी निजी कंपनियों के पंपों पर भी बिक्री तो जारी रहेगी। अलबत्ता मंगलवार को ही पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगी है।
मालूम हो कि यह आंदोलन तब किया जा रहा है जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। जाहिर है राज्य की अशोक गहलोत सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह समय चुना गया है। बीजेपी का इशारा या टिकट पाने का फंडा भी हो सकता है।
गहलोत को अच्छे से जानने वालों का मानना है कि इस तरह के दबाव में कभी नहीं आते हैं। बल्कि वक्त आने पर हर धमकी-हर चेतावनी का हिसाब भी चुकाते हैं। इससे पहले भी ऐसी ही स्थिति बनी थी। तब सरकार ने पेट्रोल पंपों पर इतनी ज्यादा जांच टीमें भेज दी थी कि पम्प संचालकों की नींद उड़ गई थी।
यूं होगी हड़ताल
राज्य के सभी पेट्रोल पंप आगामी 13 और 14 सितम्बर को सुबह 10 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक बंद रहेंगे। इस दौरान सभी आउटलेट्स पर पेट्रोल-डीजल की बिक्री ठप रहेगी। इसके बावजूद राज्य सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो 15 सितम्बर से अनिश्चित कालीन हड़ताल की जाएगी।
यह हड़ताल कामयाब होगी या नहीं, इसे लेकर कई पेंच हैं। एक तो खुद ग्रामीण इलाकों के डीलर्स ही नहीं चाहते कि इस समय हड़ताल हो, क्योंकि यह फसल बुवाई का सीजन है। उनके यहां डीजल की बम्पर बिक्री हो रही है। हड़ताल से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।
दूसरा, तेल कम्पनियों के कोको पंप रोजमर्रा की तरह खुले रहेंगे। कोको पंप वे होते हैं जिनका संचालन कम्पनी खुद करती है। हर शहर में ऐसे कई पम्प हैं।
इसके अलावा रिलायंस और नायरा जैसी निजी कम्पनियों के पम्प भी खुले रहेंगे। वाहन चालक वहां जाकर मर्जी हो उतना पेट्रोल भरवा लेंगे, वह भी प्योर पेट्रोल।
यहां उल्लेखनीय है कि सरकारी तेल कम्पनियां पेट्रोल में 12 फीसदी एथोनॉल मिलाकर बेच रही हैं। एथोनॉल मिश्रण जरा से पानी के सम्पर्क में आकर पानी में तब्दील हो जाता है। जबकि रिलायंस और नायरा जैसी कम्पनियां उससे भी कम रेट पर प्योर पेट्रोल बेच रही हैं।
कम होना ही चाहिए वैट
यह सही है कि राजस्थान में अन्य राज्यों की तुलना में वैट बहुत ज्यादा है। इस कारण आमजनता जबरदस्त त्रस्त है। पेट्रोल-डीजल सस्ता होना ही चाहिए। सीएम गहलोत को स्वयं ही इस बारे में तुरंत कोई निर्णय कर आम जनता की सहानुभूति हासिल करनी चाहिए। वे चुनावी सीजन में हर वर्ग को साध रहे हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाकर अपना वोट बैंक और मजबूत करना चाहिए।
चर्चा पे चर्चा
आरपीडीए के अध्यक्ष डॉ.राजेन्द्र सिंह भाटी के निर्देश पर हड़ताल को सफल बनाने के लिए जगह-जगह बैठकें की जा रही हैं। उनमें डीलर्स को हड़ताल के दौरान अपने पम्प बंद रखने, टर्मिनल से सप्लाई नहीं उठाने, पम्प खुला पाए जाने पर भारी जुर्माना लगाने आदि पर चर्चा की जा रही है। चर्चा यह भी है कि कहीं डीलर्स को मोहरा बनाकर कोई टिकट का खेल तो नहीं खेल रहा है?
इससे पहले…
राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर बहुत ज्यादा वैट है। इस कारण राज्य की सीमा पर स्थित पेट्रोल पंप बंद होने के कगार पर हैं क्योंकि ज्यादातर वाहन चालक नजदीकी राज्य से ही टैंक फुल कराकर राजस्थान में प्रवेश करते हैं, या फिर राजस्थान से निकलकर ही टैंक फुल कराते हैं। ऐसे में स्थानीय डीलर्स को जबरदस्त नुकसान हो रहा है। बार-बार राज्य सरकार से मांग करने के बावजूद सुनवाई नहीं होने पर आरपीडीए के बैनरतले गत मई माह में भी चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की थी। हालांकि यह घोषणा धरी रही थी और आंदोलन दिखावा साबित हुआ था।
तब आरपीडीए ने 5.5.23 से राजकीय विभागों को उधार में डीज़ल, पेट्रोल की आपूर्ति बंद करने की घोषणा की थी। आंदोलन के तहत सरकारी वाहनों को कुछ दिन उधार में सप्लाई देना बंद किया था लेकिन कई डीलर्स ने पुलिस के वाहनों के लिए पहले ही तेल के ड्रम भरकर पहुंचा दिए थे। इसके बाद जयपुर में धरना प्रदर्शन भी टाल दिया गया था।
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