-पहले शिकायत से पल्ला झाड़ा, अब बैकफुट पर आए
– नियम विरुद्ध सड़क किनारे पेट्रोल डीजल बिक्री का मामला
सन्तोष खाचरियावास @ अजमेर
सड़क किनारे नियम विरुद्ध डिस्पेंसर यूनिट लगाकर पेट्रोल डीजल बेचने के मामले में अजमेर जिला रसद अधिकारी ने अब जाकर हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पाबंद किया है। इससे पहले डीएसओ कार्यालय ने इस मामले से सिरे से पल्ला झाड़ लिया था। बाद में विभाग को अपनी ‘हनुमान शक्ति’ याद आ गई और विभाग ने एचपीसीएल को आइंदा सड़क किनारे पेट्रोल डीजल की बिक्री नहीं करने के लिए पाबंद कर दिया। खास बात यह भी है कि डीएसओ की यह कार्रवाई सांप निकलने के बाद लकीर पीटने जैसी साबित हुई।
यह है मामला
रामगंज निवासी एक जागरूक नागरिक ने राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर एक गम्भीर शिकायत दर्ज कराई जिसका क्रमांक 092401320649493 है। इसमें बताया कि रामगंज ब्यावर रोड स्थित HPCL के अनिल पेट्रोल पम्प पर पूरे 6 महीने तक आधुनिकीकरण का काम चला। उस दौरान नया भवन बनने के साथ ही पेट्रोल डीजल के भूमिगत टैंक बदले गए। नई पाइप लाइनें बिछाई गई। बिक्री प्रभावित न हो, इसके लिए सड़क किनारे डिस्पेंसर यूनिट्स लगा दी गई और धड़ल्ले से पेट्रोल डीजल की बिक्री की जाती रही। जिससे गम्भीर अग्निकांड हो सकता था। इस पम्प के पास ही दो और पेट्रोल पंप हैं। पास ही दो स्कूलें और रेलवे अस्पताल हैं। अग्निकांड होने पर जानमाल की भारी तबाही हो सकती थी।
अजमेर संभागीय आयुक्त कार्यालय ने यह शिकायत आवश्यक कार्यवाही के लिए अजमेर डीएसओ कार्यालय को भेज दी।
इसके बाद 23 सितम्बर को +917727859778 नम्बर से शिकायत कर्ता को फोन आया। उसने स्वयं को डीएसओ कार्यालय से बताते हुए कहा कि यह शिकायत हमारे डिपार्टमेंट से सम्बंधित नहीं है।
इस पर शिकायत कर्ता ने डीएसओ को उसकी ‘हनुमान शक्ति’ याद दिलाने की कोशिश करते हुए बताया कि गत 2 अप्रैल 24 को डीएसओ हेमंत आर्य ने जयपुर रोड पर पटेल मैदान के सामने स्थित बजरंग पेट्रोल पंप पर एक डिस्पेंसर मशीन सील की थी क्योंकि वहां भी पंप संचालक फुटपाथ के किनारे डिस्पेंसर यूनिट लगाकर पेट्रोल की बिक्री कर रहा था। इससे राहगीरों की जान को खतरा मानते हुए डीएसओ आर्य ने नोजल सीज कर दिए थे। यह समाचार ‘राजस्थान पत्रिका’ में प्रमुखता से प्रकाशित भी हुआ था।
इससे साबित होता है कि पेट्रोल पम्पों पर कार्रवाई का अधिकार जिला रसद अधिकारी कार्यालय को है। अब ब्यावर रोड पर भी रेलवे अस्पताल के पास हिंदुस्तान पेट्रोलियम के पम्प अनिल सर्विस सेंटर पर इसी तरह दो मशीनें अवैध रूप से सड़क किनारे लगाकर पूरे 6 महीने तक पेट्रोल डीजल की बिक्री की गई। लिहाजा, डीएसओ को वहां भी कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन डीएसओ ने पल्ला झाड़ते हुए गेंद कलक्टर के पाले में डाल दी। डीएसओ ने शिकायत अपने से सम्बंधित नहीं होना बताते हुए जिला कलक्टर कार्यालय से सम्बंधित होना बता दिया और शिकायत रद्द करने की सिफारिश कर दी।
दुबारा शिकायत पर टूटी नींद
शिकायत कर्ता ने मुख्यमंत्री सम्पर्क पोर्टल पर दुबारा शिकायत दर्ज कराई, जिसका नम्बर 102401320915534 है। इस बार डीएसओ कार्यालय ने बिना टालमटोल किए हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पाबंद कर दिया। हालांकि तब तक इस पेट्रोल पंप पर सड़क किनारे लगाया गया सेटअप हटाया जा चुका है क्योंकि यहां रिनोवेशन का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है। यानी विभाग ने लाठी तब फटकारी जब सांप निकल चुका था।
सवाल अब भी अपनी जगह कायम
जिला रसद अधिकारी कार्यालय के इस रवैये से कई सवाल खड़े हो गए हैं।पहला तो यह कि आमजन का जीवन खतरे में डालने वालों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है?
दूसरा यह कि डीएसओ ने मना क्यों कर दिया था, जबकि पूर्व में ऐसे ही एक मामले में वह एक्शन ले चुके थे?
तीसरा यह कि इस बार कार्रवाई तो की लेकिन केवल पाबंद कर मामले को रफा दफा करने की कोशिश की गई है। 6 महीने तक आमजन की जान जोखिम में रही। इसके बावजूद सम्बंधित पेट्रोल पंप संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराई जानी चाहिए थी?
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