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ढाई साल में लिख दिए 84 लाख राम नाम, आस्था, अनुभूति की मिसाल

अजमेर। हाड कंपकंपा देने सर्दी के बावजूद पौ फटने के साथ ही भक्तों के कदम आजाद पार्क ​स्थित अयोध्या नगरी की तरफ उठ जाते हैं, पहले परिक्रमा उसके बाद कोई दूसरा काम। प्रभातफेरी के बाद आरती के साथ ही 54 अरब हस्तलिखित राम नाम महामंत्रों की महापरिक्रमा सिलसिला शुरू हो जाता है। देर शाम तक परिक्रमा का सिलसिला अनवरत चलता रहता है।

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श्रीराम नाम महामंत्र परिक्रमा समारोह समिति के तत्वावधान और श्री मानव मंगल सेवा न्यास व श्रीराम नाम-धन संग्रह बैंक के सहयोग से विश्व में सर्वाधिक विधिवत संकलित हस्तलिखित श्रीराम नामों की परिक्रमा के चौथे दिन बुधवार को भी हजारों भक्तों ने परिक्रमा और आध्यात्म का आनंद उठाया। प्रमिला कौशिक, प्रताप सिंह यादव, कांति तिवारी, सुरेश लदड, सुरेश मिश्रा, अतुल अग्रवाल, शिव बंसल, दिनेश शर्मा, हरिप्रसाद जाटव, सुरेन्द्र सिंह शेखावत आदि ने भी परिक्रमा कर खुद को कृतार्थ किया।

आजाद पार्क में पांडाल को अयोध्या नगरी जैसा भव्यरूप दिया गया है। इसी अयोध्या नगरी में राम दरबार भी सजाया गया है। राम भक्त हनुमान के अलावा रामायण काल के कई देवी-देवताओं के विशेष चित्र से सजी अयोध्या नगरी में भगवान राम अपने 54 अरब हस्तलिखित रूपों में विराजित हैं।

समाजसेवियों और साधकों का सम्मान

इस अवसर पर 84 लाख बार राम नाम का हस्तलेखन करने वाले साधक मोहन लाल बियाणी, गायत्री देवी प्रजापत, सत्यनारायण सोनी, शांतिदेवी गोयल, नाथी देवी काबरा और हनुमान प्रसाद कच्छावा का संस्था की ओर से श्रीफल, श्रीफल भेंटकर तथा शॉल ओढाकर बहुमान किया गया। विविध क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले समाजसेवी प्रदीप शर्मा, सत्यनारायण सिंहल तथा पत्रकार मनोज दाधीच का सम्मान किया गया। महेन्द्र जैन मित्तल, अशोक कुमार टांक, धर्मेश जैन और जगदीश भाटिया यजमान रहे।

महाआरती के दौरान सहसंयोजक कंवल प्रकाश किशनानी, उमेश गर्ग, सुरेश शर्मा, हरीश चंदनानी, वृतिका शर्मा, ललित शर्मा, बालकृष्ण पुरोहित, राम सिंह चौहान, नवीन सोगानी, लक्ष्मण शर्मा, पुष्पा ओमप्रकाश जायसवाल आदि मौजूद रहे।

परिक्रमा के चौथे दिन राधे सर्वेश्वर मण्डल के पुष्पा गौड एवं मुकेश गौड व साथियों ने संगीतमय सुन्दरकाण्ड पाठ की प्रस्तुति दी। सुंदरकांड पाठ के दौरान श्रद्धालु भावविभोर होकर भक्ति सागर में गोते लगाने लगे। भगवान राम को समर्पित वृंदगान में डॉ. नासिर मदनी व उनके शिष्य द्वारा प्रस्तुति दी गई। मनीष दग्दी ने आवो म्हारा नटवर नागरिया, कृष्ण लाल ने ऐसी लागी लगन, बबली मकवाना ने हर करम अपना करेंगे, रेशमालाल चंदानी और साथियों ने कीर्तन की प्रस्तुति दी। नीतू चौहान, सुरभि मित्तल, ममता अनसूर्या, तनवीर ने भी अपनी संगीतमय प्रस्तुति से समा बांध दिया।

हर जीव में राम : नारायण लाल गुप्ता

मुख्य अतिथि एवं अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के नारायण लाल गुप्ता ने रामराज्य की व्याख्या करते हुए कहा कि हर जीव के भीतर राम है, जब हम परस्पर मिलने पर राम राम करते हैं तो इसके मायने यही होते है, मैं तुम्हारे भीतर के राम को प्रणाम करता हूं।

राम जैसी मर्यादा जीवन में प्रकट हों इसके लिए सदा प्रयास करते रहना चाहिए। हर व्यक्ति में राम बनने की क्षमता है, जरूरत रामसरीखा वह मर्यादापूर्ण जीवन जीने की है। राम के भाई होने के बाद भी लक्ष्मण को भगवान नहीं माना गया, वे देवताओं की श्रेणी में पूजे गए हैं।

वर्तमान समय में राम के व्यक्तित्व और कृतित्व की प्रासंगगिता है। प्रांत, जा​त पात के नाम पर जिस तरह परस्पर मनभेद व्याप्त हैं वे राम के नाम पर ही मिट सकते हैं। राम ही सबके भ्रीतर है। जब शबरी के जूठे बेर भगवान खा सकते हैं तो हम किस जात पांत को दीवार बना रहे हैं। भगवान ने कभी जात पांत के आधार पर भक्तों के बीच अपने प्रेम को नहीं बांटा। राम तो सागर जैसे गंभीर और पर्वत जैसे धीर रहे हैं।

राम सदैव आदर्शों के प्रतीक रहे हैं। राम ने हमें कर्मपथ पर चलने की दिशा दी है, रामराज्य का अर्थ है कि हर व्यक्ति मर्यादित हो। राम राज्य में समाज प्रधान रहा और शासक को उसके बाद माना गया। राम के जीवन को जानें, राम के जीवन का हर क्षण प्रेरणा देने वाला है। राम ने चरित्र का आदर्श स्थापित किया है। लेकिन आज रामराज्य ​कोरी कल्पना की तरह लगता है, क्योंकि हमने सारी जिम्मेदारी शासन पर डाल दी, समाज और व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो गया। हर व्यक्ति मर्यादा का पालन करे तो कानूनों की जरूरत ही नहीं रहेगी।

भारतीय संस्कृति का आधार राम

विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद रासासिंह रावत ने कहा कि यहां विराजित 54 अरब हस्त लिखित राम नाम गहन साधना और तपस्या का परिणाम है। भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ राम ही है। माता पिता के प्रति पुत्र, भ्राता प्रेम के अनुकरणीय रहे हैं। भारतीय संस्कृति का आधार राम है।

विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री ललित भाटी ने कहा कि राम नाम की परिक्रमा का मौका मिलना अजमेर के धर्म प्रेमियों के लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने पूर्व अनुभव साझा करते हुए कि शहर में जितनी बार भी परिक्रमा का आयोजन हुआ, हर बार सहभागी बनने का अवसर मिला। हस्तलिखित राम नामों का संकलन निरंतर विस्तृत होता जा रहा है, यह शुभ संकेत है।

यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन ने कहा कि अजमेर में सबसे पहली परिक्रमा 35 अरब हस्तलिखित राम नाम महामंत्रों के संकलन के समय परिक्रमा आयोजन का सौभाग्य मिला था। एक बार फिर 54 अरब राम नाम महामंत्रों की परिक्रमा का यह मौका मिलने से जीवन धन्य हो गया। राम नाम लेखन और परिक्रमा की यह परंपरा चलती रहनी चाहिए।

15 जनवरी तक भक्त कर सकेंगे परिक्रमा

सहसंयोजक उमेश गर्ग ने बताया कि श्रीराम नाम महामंत्र परिक्रमा समारोह समिति के तत्वावधान और श्री मानव मंगल सेवा न्यास व श्रीराम नाम धन संग्रह बैंक के सहयोग से आजाद पार्क में परिक्रमा का आयोजन 15 जनवरी तक रहेगा। परिक्रमा के दौरान सुन्दरकाण्ड पाठ और संतजनों के प्रवचन भी प्रतिदिन होंगे।

परिक्रमा स्थल पर रामभक्तों के लिए ये सेवाएं

परिक्रमा स्थल पर राम चाय का अनूठी व्यवस्था की गई है, इसके लिए न कोई शुल्क है न इंतजार, राम चाय की सेवा देने वाले खुद राम भक्तों तक पहुंच जाते हैं।

परिक्रमा स्थल पर आने वाले भक्तगणों, माताओं, बहनों और बच्चों के लिए पेयजल, चिकित्सा व बैठने आदि की सुविधा उपलब्ध है।

कृष्ण गोपाल आयुर्वेदिक भवन कालेड़ा द्वारा 7 जनवरी से निःशुल्क आयुर्वेदिक मेडिकल कैम्प और निःशुल्क दवा वितरण किया जाएगा।

देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से एक्यूप्रेशर, प्राकृतिक चिकित्सा, मुद्रा, योग चिकित्सा, रोगों के अनुसार आसन तथा प्रणायाम का निशुल्क परामर्श दिया जा रहा है।

लिखित रूप में राम नाम जप क्यों?

दो अक्षरों वाला ‘राम नाम’ परम मंत्र हैं। यह सब मन्त्रों में श्रेष्ठ हैं, इसे सब मन्त्रों का ही नहीं बल्कि वेदों का भी प्राण कहा गया हैं। रामनाम का नियमित रुप से लिखित जप करने वाले भक्तजन एक क्षण में ही अपने अज्ञानकृत बन्धनों को काटकर करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमान लोक (मोक्ष) परम पद को प्राप्त कर लेते हैं। भक्तिभाव से रामनामाकंन करना बुद्धि को अत्यन्त शुद्ध करने वाली साधना हैं। आत्मज्ञान से शुद्ध आत्मतत्त्व (आत्माराम) का अनुभव होता है और उससे दृढ़ बोध हो जाने से मनुष्य परमपद प्राप्त करता हैं। राम का नाम एक सिद्ध महामन्त्र हैं। यह नाम कपट-पिशाचिनी का घण्टा-नाद है। राम यह नाम एक शान्तिवाक्य है। राम नाम का लिखित जप तारक मंत्र सहज, सरल स्वयं सिद्ध मंत्र महा वाक्य महामंत्र भी है।

गुरूवार 4 जनवरी के कार्यक्रम

मध्यान्ह 2 बजे से अमृतवाणी मानस मण्डल की लता तायल व साथियों की ओर से सुन्दरकाण्ड पाठ की संकीर्तन की प्रस्तुति दी जाएगी। शाम 5 बजे हित रस धारा हिंसार के हित अम्बरीश महाराज के प्रवचन होंगे। महाआरती के पश्चात शाम 7 बजे भगवान राम को समर्पित भजनामृत गंगा में गोविन्द माहेश्वरी, गिरीराज मित्र मण्डल परिवार (एलन केरियर इंस्टीट्युट) कोटा द्वारा सुंदर भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी।

खुद ने किया 84 लाख राम नाम का लेखन, ओरों के लिए बने मिसाल

महज ढाई साल में 84 लाख राम नाम का हस्तलेखन पूर्ण करने वाले साधक शास्त्री नगर अजमेर निवासी मोहन लाल बियाणी साल 2015 से न केवल खुद अनवरत रूप से राम नाम लेखन कर रहे हैं बल्कि परबतसर में अपने पैतृक गांव भडसिया में अब तक 18 लोगों को राम नाम लेखन को प्रेरित कर चुके हैं। हर पूनम को गांव जाकर राम नाम साधकों तक रिक्त पुस्तिकाएं पहुंचाने तथा पूर्ण पुस्तिकाओं को अजमेर स्थित राम नाम धन संग्रह बैंक तक पहुंचाने तक की सेवा देते हैं। इनकी राम नाम लेखन की शुरुआत बडे सहज रूप में हुई, पत्नी एक बार किसी मंदिर में गईं थी, वहां से राम नाम की दो रिक्त पुस्तिकाएं घर ले आईं, बस उन दो पुस्तिकाओं को भरने पर ऐसी लगन जगी की सिलसिला थमा ही नहीं।

राजगढ निवासी नाथी देवी काबरा ने 2016 में 84 लाख राम नाम का हस्तलेखन पूर्ण किया है। उन्होंने बताया कि राम नाम लेखन की प्रेरणा पांच साल पहले ब्यावर के फतेहपुरियाजी की बगिची में आयोजित 33 अरब राम नाम मंहामंत्रों की परिक्रमा से मिली। सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले राम नाम लेखन उसके बाद दूसरा कोई काम करतीं हूं। साल 2016 में 84 लाख राम नाम का लेखन पूरा हो जाने के बाद भी लेखन जारी है। नाथी देवी ने एक और अनूठा संकल्प ले रखा है, वे समय निकालकर अपने हाथ से भगवान के वस्त्र तैयार कर मंदिरों में अर्पण करती हैं। उनकी इच्छा है कि 108 मंदिरों में विराजित प्रभु इनकी बनाई पोशाक धारण करें।

नाहर मोहल्ला अजमेर निवासी 82 वर्षीय शांति देवी गोयल ने 84 लाख राम नाम महामंत्रों का हस्तलेखन पूर्ण किया है। इस उम्र में भी वे अब भी राम नाम कॉपी के पांच से छह प्रतिदिन अंकन करती हैं। उनका कहना है कि राम नाम बहुत शक्ति है, इससे उन्हे शांति मिलती है और समय भी अच्छे से व्यतीत होता है। जिस दिन किसी कारण राम नाम लेखन नहीं हो पाता तो मन में बहुत पछतावा होता है।

जनता कॉलोनी वैशाली नगर अजमेर निवासी ने 84 लाख राम नाम महामंत्रों का हस्तलेखन किया है। उन्होंने साल 2009 में राम नाम लेखन का अंकन शुरू किया था। हर दिन लिखने की ऐसी लगन लगी कि देखते ही देखते 84 लाख राम नाम लेखन पूर्ण हो गए। उनका कहना है कि राम नाम लेखन से आत्मविश्वास में बढोतरी हुई है। इन्होंने कई और लोगों को भी राम नाम लिखने को प्रेरित किया है।

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