न्यूज नजर : फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। धार्मिक या पौराणिक मान्यताओं जो भी हो उस के अतिरिक्त यह पर्व नयी फसल के आने का सूचक है। इस दिन खेतों से अन्न लाकर यज्ञ में हवन करके प्रसाद के रूप मे लेने का विधान है उस अन्न को “होला ” कहते हैं। इसी से इसका नाम होलिकात्सव पड़ा है। इस कारण वैदिक काल से इसे ‘नवान्नेष्टि यज्ञ ‘ कहा जाता है।
1 मार्च 2018, गुरुवार पूर्णिमा दिन के 8 बज कर 58 मिनट से शुरू होगी तथा
दूसरे दिन सूर्योदय से पूर्व प्रातः 6 बज कर 21 मिनट तक रहेगी। सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी। अतः 1 मार्च 2018 गुरुवार को प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका उत्सव मनाया जाएगा।
भद्रा रहित होने पर ही होलिका दहन किया जाता है। अतः 1 मार्च 2018 को भद्रा प्रातः 8 बजकर 58 मिनट से रात 7 बज कर 40 मिनट तक रहेगी।
इसलिए होलिका दहन 1 मार्च 2018 को भद्रा के बाद 7 बजकर 41मिनट पर करना श्रेष्ठ है।